दर्दनाक शायरी हिंदी

 




वफ़ा के शीश महल में सजा लिया मैनें ,

वो एक दिल जिसे पत्थर बना लिया मैनें,

ये सोच कर कि न हो ताक में ख़ुशी कोई ,

ग़मों कि ओट में ख़ुद को छुपा लिया मैनें,

कभी न ख़त्म किया मैं ने रोशनी का मुहाज़ ,

अगर चिराग़ बुझा, दिल जला लिया मैनें,

कमाल ये है कि जो दुश्मन पे चलाना था ,

वो तीर अपने कलेजे पे खा लिया मैनें |


टूटे हुए प्याले में जाम नहीं आता

इश्क़ में मरीज को आराम नहीं आता

ये बेवफा दिल तोड़ने से पहले ये सोच तो लिया होता

के टुटा हुआ दिल किसी के काम नहीं आता ……..



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